माँ के चरण देखे एक अरसा बीत गया
Saturday, 15 December 2012
quote माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है || फिजूल में रबड़ता , दोस्तों के साथ इधर-उधर बगल के कमरे में, माँ से मिलना , मीलों की दुरी लगता है || वो घंटों लगा रहता है, फेसबुक पे अजनबियों से बतियाने में अब माँ का हाल जानना, उसे चोरी लगता है || खून की कमी से रोज मरती, बेबस लाचार माँ वो दोस्तों के लिए, शराब की बोतल, पूरी रखता है || वो बड़ी कार में घूमता है , लोग उसे रहीस कहते है पर बड़े मकान में , माँ के लिए जगह थोड़ी रखता है || माँ के चरण देखे , एक अरसा बीता उसका ... अब उसे बीवी का दर, श्रद्धा सबुरी लगता है ||
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment